सरकार ने कहा कि डल्लेवाल अस्पताल में भर्ती होने से इनकार कर रहे हैं, ऐसे में इसके लिए अतिरिक्त समय की जरूरत होगी। इसपर कोर्ट ने मामले की सुनवाई दो जनवरी तक टाल दी।
पंजाब के किसान जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन 36 दिनों से लगातार जारी है। इस बीच, उनकी सेहत लगातार बिगड़ रही है। मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की अवकाश बेंच द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई होनी थी। हालांकि, इसके पहले पंजाब सरकार ने कोर्ट से डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए अतिरिक्त समय मांग लिया। सरकार ने कहा कि डल्लेवाल अस्पताल में भर्ती होने से इनकार कर रहे हैं, ऐसे में इसके लिए अतिरिक्त समय की जरूरत होगी। इसपर कोर्ट ने मामले की सुनवाई दो जनवरी तक टाल दी। वहीं, आंदोलन करने वाले किसानों ने कहा कि अगर केंद्र सरकार उनसे बातचीत करे तो 36 दिन से आमरण अनशन करने वाले किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल किसी भी तरह की मेडिकल सहायता लेंगे।
कोर्ट में सरकार ने क्या कहा?
पंजाब सरकार ने कोर्ट में बताया कि सरकारी अधिकारियों की एक टीम 29 दिसंबर को 70 वर्षीय डल्लेवाल के पास गई थी। उन्हें चिकित्सा सहायता लेने के लिए मनाने का प्रयास किया गया, लेकिन डल्लेवाल ने इनकार कर दिया। पंजाब सरकार की ओर से पेश हुए एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने अदालत के 20 दिसंबर के आदेश के अनुपालन के लिए तीन दिन का और समय मांगने के लिए एक आवेदन दायर किया था। इसपर जस्टिस सूर्यकांत और सुधांशु धूलिया की अवकाश पीठ ने मामले को दो जनवरी को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
कई स्तर पर चल रही बातचीत
एडवोकेट जनरल सिंह ने कहा कि अधिकारियों की एक टीम विरोध स्थल पर प्रदर्शनकारी किसानों से बातचीत कर रही है और डल्लेवाल को खनौरी सीमा के पंजाब की तरफ स्थित पास के अस्थायी अस्पताल में भर्ती कराने की कोशिश की जा रही है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह प्रदर्शनकारी किसानों के साथ हुई चर्चा पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती और वह केवल अपने पहले के आदेशों का अनुपालन चाहती है। इससे पहले 28 दिसंबर को, शीर्ष अदालत ने पंजाब सरकार को डल्लेवाल को अस्पताल नहीं भेजने के लिए कड़ी फटकार लगाई थी।
ब्लड प्रेशर बहुत कम, चिकित्सा उपचार स्वीकार करने की अपील
29 दिसंबर को डॉक्टरों ने मेडिकल बुलेटिन जारी करते हुए कहा था कि डल्लेवाल का ब्लड प्रेशर बहुत कम है, जिसके कारण उन्हें बात करने में भी समस्या हो रही है। उनकी हालत दिन प्रतिदिन नाजुक होती जा रही है। नाजुक तबीयत को देखते हुए पंजाब सरकार के अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय टीम ने डल्लेवाल से अनुरोध किया था कि वे अनशन जारी रहने के बावजूद कम से कम चिकित्सा उपचार स्वीकार करें।
सरकार के रवैये पर किसानों के गंभीर आरोप
किसान नेताओं ने स्पष्ट किया था कि वे गांधीवादी तरीके से विरोध कर रहे हैं। अनशन पर बैठे डल्लेवाल को सरकार जबरन उठाना चाहती है। किसान नेताओं का आरोप है कि पिछले 35 दिनों में उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के जजों को पत्र लिखे गए हैं लेकिन किसी ने उनकी मांगों पर गौर नहीं किया और न ही उनसे बातचीत का कोई प्रयास किया है।