पौधों की बेहतरीन विकास के लिए विभिन्न चीजों की जरूरत पड़ती है, जिसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मृदा, पानी और धूप को कहा जाता है।
इनमें मृदा सबसे खास है, क्योंकि इससे पौधे को नाइट्रोजन, फस्फोरस और पोटेशियम हांसिल होते हैं। इन पोषक तत्वों की पौधे में शानदार विकास के लिए बड़ी मात्रा में आवश्यकता होती है।इन पोषक तत्वों की आवश्यकता को पूरा करने और पौधे की अच्छी पैदावार पाने के लिए मृदा में खाद का छिड़काव किया जाता है। परंतु, क्या आप जानते हैं, कि पौधे के उत्तम विकास के लिए बायोचार का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। ये एक प्रकार का कोयला होता है, जिसे कम ऑक्सीजन के साथ तैयार किया जाता है।
बायोचार किस प्रकार से तैयार किया जाता है ?
बायोचार को तैयार करने के लिए पत्तियां, लकड़ी और खाद जैसे कार्बनिक पदार्थों को गर्म किया जाता है। दरअसल, इस प्रकिया को पायरोलिसिस के नाम से भी जाना जाता है। पायरोलिसिस में ऑक्सीजन की कमी में पत्तियां, लकड़ी और खाद को तेज तापमान पर गर्म किया जाता है, जिसके बाद चारकोल जैसी सामग्री बनकर सामने आती है, जिसे बायोचार कहते हैं। बायोचार (कच्चे कोयले) का इस्तेमाल मिट्टी को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है।
बायोचार के क्या-क्या फायदे होते हैं ?
बायोचार मृदा की जल सोखने की क्षमता को काफी हद तक बढ़ा देता है। इससे मिट्टी की उर्वरता काफी बढ़ती है, क्योंकि यह मिट्टी के पानी और पोषक तत्व को धारण करने की क्षमता को बढ़ाता है। इस कच्चे कोयले का इस्तेमाल पौधों की जड़ों को मिट्टी में गहराई तक पहुंचाने में सहयोग करता है। इससे ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन कम होता है और कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है।
मृदा में कितना बायोचार मिलाया जाना चाहिए?
पौधों के बेहतर और शानदार विकास के लिए मिट्टी में बायोचार को मिलाने के लिए आपको जैविक सामग्री जैसे कि गाय का गोबर, कोकोपीट, वर्मीकम्पोस्ट या प्राकृतिक उर्वरक आदि को इसकी आधी मात्रा में मिला कर मिश्रण बनाएं।
फिर इस मिश्रण को करीब 10 से 14 दिनों के लिए अलग रख देना होता है। इसके बाद में जब यह बनकर तैयार होता है, तो आप इसका मिट्टी पर छिड़काव कर सकते हैं।