बजट प्रस्तावों से एफएमसीजी कंपनियों की वित्तीय स्थिति में सुधार होने की उम्मीद

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बजट के प्रस्तावों से उपभोक्ता वस्तुओं और एफएमसीजी क्षेत्र की कंपनियों की वित्तीय स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है, जो पिछले एक साल से भी ज्यादा वक्त से खराब उपभोक्ता मांग से जूझ रही हैं। नई आयकर व्यवस्था के तहत मानक कटौती में 25,000 रुपये की वृद्धि और स्लैब में संशोधन जैसी बजट घोषणाओं से करदाताओं के हाथों में अधिक पैसा आएगा, जिससे अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता मांग बढ़ेगी।

देश की शीर्ष 500 कंपनियों में एक करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप देने की नई योजना से निजी खपत को भी लाभ मिलने के आसार हैं। नौकरी योजना से औपचारिक नौकरी बाजार का विस्तार होने की संभावना है, जिससे उपभोक्ता बाजार का विस्तार होगा।

हिंदुस्तान यूनिलीवर के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी रोहित जावा ने कहा ‘विकास के लिए अधिक आवंटन, युवा रोजगार और कौशल विकास के लिए योजनाएं जैसी बजट घोषणाएं हमारे जैसे कारोबारों के लिए सकारात्मक हैं, जो बाजार के बड़े स्तर से लेकर प्रीमियम स्तर तक के 10 में से नौ परिवारों की सेवा करते हैं। उपभोक्ताओं को अधिक खर्च करने के लिए प्रेरित करने में इन प्रस्तावों का कई सालों तक पड़ेगा।’

अलबत्ता नकारात्मक पक्ष यह है कि इक्विटी पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर और अल्पकालिक पूंजी कर में वृद्धि से ऊंची हैसियत वाले निवेशकों (एचएनआई) को नुकसान होगा। इसी तरह रियल एस्टेट निवेशकों के मामले में इंडेक्सेशन लाभ वापस लिए जाने से अधिक आय वर्ग के परिवारों को नुकसान होगा। कुल मिलाकर इस प्रस्ताव से महंगी और लक्जरी उपभोक्ता वस्तुओं की मांग को नुकसान पहुंचने के आसार हैं। विश्लेषक भी इस बात सहमत हैं।

सिस्टमैटिक्स इंस्टीट्यूशनल इक्विटी के सह-प्रमुख (अनुसंधान और इक्विटी रणनीति) धनंजय सिन्हा कहते हैं ‘इससे पहले सरकार का ध्यान कॉर्पोरेट कर में कटौती, उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन तथा अधिक सार्वजनिक पूंजीगत व्यय जैसे उपायों के जरिये वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति को बढ़ावा देने पर केंद्रित था। बजट व्यक्तियों और परिवारों के हाथों में अधिक पैसा देकर कुल मांग को बढ़ावा देने की दिशा में केंद्र बिंदु का संकेत देता है।’

डाबर इंडिया के मुख्य कार्य अधिकारी मोहित मल्होत्रा ने कहा कि बजट के कई प्रस्तावों का मतलब यह है कि उपभोक्ताओं के हाथों में खर्च करने योग्य और ज्यादा आय होगी तथा यह ब्रांडेड उपभोक्ता वस्तुओं की टिकाऊ मांग की ओर ले जाएगा। शहरी और ग्रामीण विकास पर जोर दिए जाने से ग्रामीण खपत को बढ़ावा मिलेगा और गैर-जरूरी खर्च में भी इजाफा होगा।