केंद्रीय मत्स्यपालन और पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने बुधवार 28 फरवरी 2024 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में चारा विकास पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मंत्रालय की सचिव, श्रीमती अलका उपाध्याय और विभाग (डीएएचडी) के अधिकारी भी उपस्थित हुए।
देश के पशुधन की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना सर्वोच्च प्राथमिकता
श्री पुरुषोत्तम रूपाला ने अपने संबोधन की शुरुआत में चिंता व्यक्त किया कि पशुओं के चारा को अब तक प्राथमिकता प्रदान नहीं किया गया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण को दोहराया और पशुधन किसानों के लिए एक संदेश भी दिया कि “पशुधन – देश के पशुधन की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है।” श्री रूपाला ने देश के सभी चार क्षेत्रों में “चारा बैंक” स्थापित करने की सरकार की योजना पर प्रकाश डाला, जो वैज्ञानिक रूप से पशुधन आबादी का संज्ञान लेते हुए चारे की आवश्यकता के आधार पर उचित भंडारण सुविधाएं, रसद एवं परिवहन सुविधाओं से युक्त है और बफर स्टॉक की उपलब्धता के साथ-साथ इन क्षेत्रों में स्थानीय चारा उत्पादन करता है।
पशुधन बीमा एवं जोखिम प्रबंधन को बनाना आसान
केंद्रीय मंत्री ने पशु प्रजनन से संबंधित विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत ज्यादा पशुधन प्रजातियों (जैसे खच्चर, गधा, ऊंट और घोड़े) को शामिल करने पर मंत्रिमंडल के निर्णय पर प्रकाश डाला। उन्होंने चारा उत्पादन के क्षेत्र और इससे संबंधित योजनाओं को बढ़ावा देने और जानवरों के प्रकार (दुधारू पशुओं, बछिया, सूखा जानवरों आदि) के आधार पर पोषण संबंधी आवश्यकता के अनुरूप चारे की आवश्यकता की पहचान करने के महत्व पर बल दिया और उन्होंने जानवरों की उम्र; चारा प्रथाओं में वैश्विक प्रवृत्ति को बेंचमार्क बनाना, निजी क्षेत्र में व्यावसायिक संभावनाओं का पता लगाना और प्रमुख क्षेत्र के लिए केंद्र बिंदु के रूप में पशुधन बीमा एवं जोखिम प्रबंधन को आसान बनाने पर प्रकाश डाला।
चारा विकास के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन पर किया पुरूस्कृत
श्री रूपाला ने चारा विकास के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को मान्यता प्रदान करने और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य/केंद्र शासित प्रदेश को पुरस्कृत करने पर बल दिया। उन्होंने इस बात की पुष्टि करते हुए अपने संबोधन को समाप्त किया कि राष्ट्रीय चारा संगोष्ठी में हुआ विचार-विमर्श आगे का मार्ग प्रशस्त करेगा और देश के पशुधन के लिए मध्यवर्त तैयार करने का आधार बनेगा।
भारत दुग्ध उत्पादन में विश्व में सबसे ऊपर
मंत्रालय की सचिव, श्रीमती अलका उपाध्याय ने देश की पशुधन आबादी के प्रति विभाग के दृष्टिकोण पर बल देते हुए अपना संबोधन शुरू किया। उन्होंने श्वेत क्रांति के माध्यम से भारत को दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक देश बनने की स्थिति को स्वीकार किया, जिसका मतलब प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता में वृद्धि है। इसके बाद, उन्होंने उत्पादन और उत्पादकता की समानता पर अपनी चिंता व्यक्त किया और कहा कि हालांकि भारत दुग्ध उत्पादन में विश्व में सबसे ऊपर है, लेकिन प्रति पशु उत्पादकता बराबर नहीं है और पशु पोषण महत्वपूर्ण कारकों में से एक है। उन्होंने नस्ल सुधार कार्यक्रम और स्थानीय/स्वदेशी नस्लों के संरक्षण और ब्रीडर फार्मों, न्यूक्लियस फार्मों, आईवीएफ और सेक्स सॉर्टेड सीमेन तकनीक को तेजी से बढ़ावा देने को प्रोत्साहित करते हुए नस्ल सुधार की दिशा में विभाग के नेतृत्व पर बल दिया।
चारा उद्योग एक विकसित व्यापार का अवसरः सचिव
सचिव ने पिछले वर्षों में पशुधन रोगों से निपटने के लिए विभाग की यात्रा पर प्रकाश डाला, जिसमें टीकाकरण जैसे विभिन्न उपाय शामिल हैं, जिससे यह पशुधन किसानों के लिए ज्यादा किफायती और सुलभ बन चुका है। उन्होंने पशुओं के लिए चारा और आहार पर बल देते हुए कहा कि वर्तमान समय की मांग है कि चारे की खेती में वृद्धि करके चारे की उपलब्धता और उत्पादन में बढ़ोत्तरी की जाए और नई किस्मों के अनुसंधान एवं नवाचार के माध्यम से चारा की खेती और चारा बीज के उत्पादन के लिए सामान्य चारागाह भूमि, निम्नीकृत वन भूमि को शामिल करके जमीनी काम को पहले से ही मौजूदा योजना के दिशा-निर्देशों में शामिल किया गया है। उन्होंने चारा उद्योग को एक विकसित व्यापार अवसर कहा और इस विषय पर चर्चा करने के बाद अपने संबोधन को समाप्त किया।
राष्ट्रीय पशुधन मिशन
चारे की कमी की समस्या का समाधान करने के लिए सरकार ‘राष्ट्रीय पशुधन मिशन’ नामक एक योजना की शुरुआत कर रही है जिसका एक उप-मिशन है जिसका नाम ‘चारा और चारा विकास’ है। उप-मिशन के अंतर्गत, दो घटक अर्थात गुणवत्तापूर्ण चारा बीज उत्पादन (गुणवत्ता प्रमाणित चारा बीजों के उत्पादन के लिए) और उद्यमशीलता विकास कार्यक्रम (चारा ब्लॉकों/घास/टीएमआर/साइलेज बनाने वाली इकाइयों के लिए) कार्यान्वित किए जा रहे हैं।
इसके अलावा, सरकार ने नए घटकों अर्थात ‘बीज प्रसंस्करण और ग्रेडिंग उद्यमियों की स्थापना’ और ‘गैर-वन बंजर भूमि/रेंजलैंड/गैर-कृषि योग्य भूमि और अवक्रमित वन भूमि से चारा उत्पादन’ शुरू किया है। सरकार केंद्रीय क्षेत्र की योजना ‘पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ)’ का भी कार्यान्वयन कर रही है जो व्यक्तिगत उद्यमियों, निजी कंपनियों, एमएसएमई, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और इस क्षेत्र की धारा 8 कंपनियों द्वारा निवेश को (3 एफ प्रतिशत ब्याज सहायता के साथ) प्रोत्साहित करती है।
ये रहे मौजूद
इस कार्यक्रम में पशुपालन एवं चारा विकास से जुड़े विभिन्न हितधारकों की भागीदारी देखी गई, जिनमें राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड, राष्ट्रीय बीज निगम, भारतीय चरागाह चारा अनुसंधान संस्थान, कृषि विकास सहकारी समिति लिमिटेड, नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के अधिकारी और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि और 250 से ज्यादा किसान/उद्यमी शामिल हैं।