दक्षिण में ‘सिंघम’ अन्‍नामलाई,मोदी के सपने को करेंगे पूरा!

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘अबकी बार 400 पार’ के सपने को पूरा करने के लिए जी-जान से लगे हुए हैं. उनका सारा ध्‍यान इस समय दक्षिण भारत में है. यहां पर जहां कुछ पार्टियों के साथ गठबंधन हो चुका है तो आने वाले दिनों में कुछ दलों के साथ बात बन सकती है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मंगलवार को आगामी लोकसभा चुनावों के लिए तमिलनाडु में पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) को 10 सीटें एलॉट की हैं. समझौते पर पीएमके के संस्थापक एस रामदास और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के अन्‍नामलाई ने विल्लुपुरम जिले के थाइलापुरम स्थित घर पर सीट शेयरिंग समझौते पर साइन किए हैं. वर्तमान में वह तमिलनाडु बीजेपी के मुखिया हैं और चुनावों के लिए रणनीति को बनाने में लगे हुए हैं. साल 2020 में बने बीजेपी के सदस्‍य 

अन्‍नामलाई ने साल 2020 में बीजेपी को ज्‍वॉइन किया था. राजनीति में आने से पहले वह एक आईपीएस ऑफिसर थे और 2011 के बैच से आते हैं. साल 2019 में जब उन्‍होंने पुलिस सर्विस को छोड़ा तो उनके राजनीति में आने की चर्चाएं बढ़ गई थीं. बीजेपी ज्‍वॉइन करते समय उन्‍होंने कहा था कि यही पार्टी उनके लिए एकदम सही थीं. पार्टी ज्‍वॉइन करते समय उन्‍होंने कहा, ‘पीएम नरेंद्र मोदी ने साधारण शुरुआत की थी और मैं उनके जीवन से प्रभावित हूं. बीजेपी एकमात्र ऐसी पार्टी है जो मुझे प्रेरित करती है.’ कई राजनीतिक विशेषज्ञ तो यहां तक कहते हैं कि अन्‍नामलाई बीजेपी के उस सपने को पूरा कर सकते हैं तो तमिलनाडु में द्रमुक को सत्‍ता से उखाड़ फेंकने से जुड़ा है. 

किसान परिवार के अन्‍नामलाई 

अन्‍नामलाई साल 2021 में बीजेपी की तमिलनाडु यूनिट के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष बने और तब से ही पार्टी के अंदर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि 39 वर्षीय नेता का नाम बीजेपी की अगली उम्मीदवारों की लिस्‍ट में हो सकता है.  अन्नामलाई, जो एक सख्त पुलिस अधिकारी के रूप में जाने जाते थे, बीजेपी के लिए एबिल्कुल उपयुक्त थे क्योंकि वह दक्षिणी राज्य में अपनी पैठ बनाने के लिए एक व्यावहारिक नेता चाहते थे. साल  2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को राज्य में कोई सीट नहीं मिली. कुछ लोग उन्‍हें बीजेपी के ‘एंग्री यंग मैन’ के तौर पर भी जानते हैं. वह करूर जिले के थोट्टमपट्टी में एक कृषक परिवार से आते हैं. अन्‍नामलाई गौंडर समुदाय से हैं, जिसका राज्य के कोंगु क्षेत्र में प्रभाव है.

 लोगों के फेवरिट ‘सिंघम अन्‍ना’! 

आईआईएम-लखनऊ से एमबीए के साथ इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट अन्‍नामलाई कभी एक इंड्रस्‍टीयलिस्‍ट बनना चाहते थे. लेकिन उन्होंने लोगों से जुड़े रहने के लिए सिविल सर्विसेज में करियर बनाने के लिए उस सपने को त्याग दिया.  बतौर पुलिस ऑफिसर उनका करियर आठ साल का रहा. वह कर्नाटक कैडर के आईपीएस ऑफिसर रहे हैं. अपनी खास पुलिसिंग स्‍टाइल के कारण उन्‍हें ‘सिंघम अन्‍ना’ का टाइटल मिला. ‘सिंघम’, जिसका अर्थ शेर है और इस टाइटल के साथ साल 2011 में इसी टाइटल से आई अजय देवगन की फिल्‍म में उनके रोल से अन्‍नामलाई की तुलना की जाने लगी. दक्षिण में अन्‍ना यानी भाई और इस वजह से उन्‍हें काफी सम्‍मान मिलता है. 

मिली काम के लिए तारीफ 

अन्‍नामलाई ने कई काम ऐसे किए जिसके लिए उन्‍हें तारीफ मिली. चाहे वह गुटखा की बिक्री पर गुप्त कार्रवाई हो और नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ अभियान हो, या फिर बलात्कार पीड़िता की दुखी मां के प्रति उनका सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण हो, उनके हर काम ने उन्‍हें लोगों का हीरो बना दिया.  इसके अलावा उनकी एक मजबूत सार्वजनिक छवि भी है जो उन्‍हें पुलिस के करियर से हासिल हुई है

. कैलाश मानसरोवर की यात्रा और इस्‍तीफा 

पड़ोसी जिले उत्तर कर्नाटक में भटकल के पास स्थित उडुपी में उनके कार्यकाल के दौरान अन्‍नामलाई की इस्लाम में गहरी रुचि विकसित हुई. भटकल इस्लामी कट्टरपंथ का केंद्र और इंडियन मुजाहिदीन का जन्मस्थान है. जब उन्होंने साल 2019 में पद छोड़ने का फैसला किया, तब वह बेंगलुरु दक्षिण के डिप्‍टी पुलिस कमिश्‍नर के तौर पर कार्यरत थे. अपने इस्‍तीफे में अन्‍नामलाई ने कहा कि यह अचानक लिया गया निर्णय नहीं था, बल्कि साल 2018 में कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर आधारित एक सुविचारित निर्णय था. एक सम्मानित वरिष्‍ठ की मृत्‍यु ने इस अहसास को और भी गहरा करने में मदद की.