अनार के अंदर सूत्रकृमि या निमैटोड का संक्रमण होता है, जो कि काफी छोटा सूक्ष्म और धागानुमा गोल जीव होता है। यह अनार की जड़ों में गांठें निर्मित कर देता है। इसके प्रभाव से पौधौं की पत्तियों का रंग पीला पड़ने लग जाता है।
अनार की खेती कृषकों के लिए एक अत्यंत लाभ का सौदा सिद्ध होती है। अनार का पौधा काफी सहिष्णु होता है और हर तरह के मौसम को सहन करने में सक्षम होता है। अनार के पोधौं और फल में कीट और रोग के संक्रमण से बेहद हानि होती है। इसलिए अनार की खेती में रोग और कीट के नियंत्रण एवं उसकी पहचान से जुड़ी जरूरी जानकारी किसानों को पास होनी ही चाहिए। अनार के पौधों एवं फलों में किस तरह के रोग और कीट का प्रकोप होता है। उसकी पहचान करने के लिए लक्षण क्या-क्या हैं। साथ ही, किस तरह से उससे बचाव के लिए क्या उपाय करना चाहिए, यह जानना भी काफी महत्वपूर्ण है।
अनार की फसल में लगने वाले निम्नलिखित कीट
अनार में सूत्रकृमि अथवा निमैटोड का काफी प्रकोप होता है, जो कि काफी छोटा सूक्ष्म और धागानुमा गोल जीव होता है। यह अनार की जड़ों में गांठें तैयार कर देता है। इसके प्रकोप से पौधौं की पत्तियां भी पीली पड़ने लगतीं हैं और मुड़ने लगती हैं। इसकी वजह से पौधों का विकास रुक जाता है। इसके साथ ही उत्पादन भी प्रभावित हो जाता है। इस वजह से जिस पौधे में इस कीट के प्रकोप के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, उस पौधे की जड़ों के पास खोद कर उसमें 50 ग्राम फोरेट 10 जी डालकर अच्छी तरह से मिट्टी में मिलाकर सिंचाई कर दें। इससे पौधों को क्षति से बचाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त मिलीबग, मोयला थ्रिप्स इत्यादि कीट का प्रकोप होता है। इसकी वजह से कलियां, फूल और छोटे फल प्रांरभिक अवस्था में ही खराब होकर गिरने लगते हैं। इसकी रोकथाम के लिए डायमेथोएट कीटनाशी के 0.5 प्रतिशत घोल का प्रति लीटर पानी में मिलाकर फसल पर स्प्रे करें।
माइट से संरक्षण के लिए निम्नलिखित उपाय करें
माइट का संक्रमण भी पौधों को हो सकता है। यह काफी ज्यादा छोटे जीव होते हैं, जो प्राय: सफेद एवं लाल रंग में पाए जाते हैं। ये छोटे जीव अनार की पत्तियों के ऊपरी और निचले सतह पर शिराओं के पास चिपक कर रस चूसते हैं। माइट ग्रसित पत्तियां ऊपर की ओर मुड़ जाती हैं। इसके अतिरिक्त जब इस कीट का प्रकोप ज्यादा होता है, तो पौधे से समस्त पत्तियां झड़ जाती हैं और यह सूख जाता है। इसलिए जब अनार के पौधे में माइट का संक्रमण होने के लक्षण नजर आऐं तो पौधों पर एक्साइड दवा के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें। यह छिड़काव 15 दिनों के समयांतराल पर करें।
तितली कीट अनार के लिए बेहद हानिकारक है
अनार के फलों के लिए तितली सर्वाधिक हानिकारक कीट मानी जाती है। क्योंकि जब एक व्यस्क तितली अंडे देती है, तो उससे सुंडी निकल कर फलों में प्रवेश कर जाती है। फल में प्रवेश करने के पश्चात वह फल के गूदे को खाती है। इसके नियंत्रण के लिए बारिश के मौसम में फलों के विकास के दौरान 0.2 प्रतिशत डेल्टामेथ्रीन या 0.03 प्रतिशत फॉस्कोमिडान कीटनाशक दवा के घोल का छिड़काव करने से काफी लाभ होता है। इसका छिड़काव 15-20 दिनों के अंतराल पर करना चाहिए।