दुनियाभर में पैदा होने वाली हींग का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा भारत में प्रयोग की जाती है. मौजूदा समय में हींग की खेती करके अच्छी कमाई की जा सकती है, देश में बाजारों में एक किलो हींग की कीमत लगभग 35 से 40 हजार रुपये हैं.
भारत में शायद ही ऐसा कोई रसोई घर होगा जहां खाना बनाने में हींग का उपयोग नहीं किया जाता है. हींग एक ऐसा मसाला है, जो पेट दर्द समेत कई शारीरिक समस्याओं से छुटकारा दिलाने के काम आती है. आपको बता दें, दुनियाभर में पैदा होने वाली हींग का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा भारत में प्रयोग की जाती है. मौजूदा समय में हींग की खेती करके अच्छी कमाई की जा सकती है, देश के बाजारों में एक किलो हींग की कीमत लगभग 35 से 40 हजार रुपये हैं. यदि ऐसे में आप एक महीने में अधिक हींग की बिक्री करते हैं, तो आपको लाखों में कमाई कर सकते हैं.
आज हम आपको कृषि जागरण के इस आर्टिकल में हींग की खेती से जुड़ी सभी जानकारी देने जा रहे हैं.
वर्षों बाद हींग का पौधे तैयार
भारत में हींग को ईरान और अफगानिस्तान से आयात करना पड़ता है, ऐसे में पिछले कई वर्षों से कृषि वैज्ञानिक भारत में हिंग की खेती करने पर रिसर्च कर रहे थे, जिसमें हिमालय जैव प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर के वैज्ञानिकों ने ईरान और अफगानिस्तान से हींग के कुछ बीजों को भारत में लाकर लगया और लगभग 3 वर्षों की मेहनत के बाद हींग का पौधे तैयार किया गया. देश में सबसे पहले हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति में कुछ किसानों को हींग की खेती करने का प्रशिक्षण दिया गया.
20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान बेहद जरूरी
यदि आप भी हींग की खेती करना चाहते हैं, तो इसके लिए लगभग 20 से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान होना बेहद जरूरी है. इसे आप ऐसे समझ सकते हैं, कि इस फसल को लगाने के लिए ज्यादा ठंड की आवश्यक्ता नहीं होती है. जिस वजह से उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके, लद्दाख, हिमाचल का किन्नौर, मंडी जिला में जनझेली का पहाड़ी क्षेत्र हींग की खेती के लिए उपयुक्त माना गया है.
क्या है हींग की खेती की प्रक्रिया?
हींग की खेती करने के लिए आपको इन निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –
- हींग की खेती के लिए आपको हींग के बीजों को ग्रीन हाऊस में लगभग 2- 2 फीट की दूरी पर बोना चाहिए.
- हींग का पौध निकल जानें पर आपको इसे 5-5 फीट की दूरी पर लगाना है.
- आपको हाथ से जमीन की नमी को जांच लेंना है और जरूरत के हिसाब से पानी का छिड़काव करना है.
- यदि आप पानी का अधिक छिड़काव करते हैं, तो इससे पौधों को नुकसान भी पहुंच सकता है.
- हींग के पौधों को नमी देने के लिए गीली घास का उपयोग करना चाहिए.
- हींग पौधे को पेड़ बनने में लगभग 5 साल का समय लगता है.
- पौधों की जड़ों और प्रकंदों से लेटेक्स गम सामग्री प्राप्त होती है.
- इसके पौधों की जड़ों के बहुत करीब से काटकर सतह के संपर्क में लाया जाता है. जिससे कटे हुए स्थान से दूधिया रस का स्राव करता है.
- यह पदार्थ जब हवा के संपर्क में आने से कठोर हो जाता है, तब इसे निकाला जाता है.
- वहीं जड़ का एक और टुकड़ा अधिक गोंद निकालने के लिए काटा जाता है.