कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की गिनाईं 8 असफलताएं

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कांग्रेस ने किसानों को लेकर बोला केंद्र सरकार पर हमला. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्‍स (ट्विटर) पर लिखा कि मोदी सरकार की तमाम विफलताओं में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की क्षमताहीनता और दुर्भावना से भरा व्यवहार सबसे अधिक हानिकारक है. उन्‍होंने लिखा कि इस मंत्रालय की नाकामियां साफ तौर पर सबके सामने आ चुकी हैं.

कांग्रेस ने किसानों को लेकर बोला केंद्र सरकार पर हमला. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्‍स (ट्विटर) पर लिखा कि मोदी सरकार की तमाम विफलताओं में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की क्षमताहीनता और दुर्भावना से भरा व्यवहार सबसे अधिक हानिकारक है. उन्‍होंने लिखा कि इस मंत्रालय की नाकामियां साफ तौर पर सबके सामने आ चुकी हैं. जयराम रमेश ने कृषि पर जबरन जीएसटी, मंत्रालय के फंड का इस्‍तेमाल न होने जैसे कई गंभीर आरोप सरकार पर लगाए हैं. जयराम रमेश ने एक्‍स पर एक थ्रेड पोस्‍ट किया है और इसमें उन्‍होंने कई मुद्दे उठाए हैं.

सरकार की 8 खामियां

कांग्रेस नेता रमेश ने जिन 8 खामियों के बारे में उन्‍होंने जिक्र किया है उनमें 

  1. कृषि इनपुट्स पर जबरन जीएसटी
  2. मंत्रालय के फंड का इस्तेमाल न होना  
  3. किसानों की आय दोगुनी करने में विफलता
  4. एमएसपी में अपर्याप्त वृद्धि और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट का क्रियान्वयन न होना 
  5. फसल विविधीकरण के मामले में विफलता
  6. खाद्य तेलों के लिए आयात पर निर्भरता
  7. व्यापार नीति के मामले में विफलता 
  8. बढ़ती कर्ज़दारी और किसान आत्महत्याएं
  9. जीएसटी किसान विरोधी 

जयराम रमेश के मुताबिक जीएसटी का डिजाइन पूरी तरह से किसान विरोधी है. जीएसटी की वजह से किसानों के लिए जरूरी हर इनपुट की कीमत बढ़ गई है. उन्‍होंने दावा किया कि  साल 2004-05 में यूपीए के पहले बजट में, ट्रैक्टरों पर उत्पाद शुल्क समाप्त कर दिया गया था. लेकिन, जीएसटी के तहत, ट्रैक्टरों पर टैक्स रेट बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया है. जबकि ट्रैक्टर के टायर पर जीएसटी 18 फीसदी और स्पेयर पार्ट्स पर 28 फीसदी है. इस बीच, जीएसटी के अंतर्गत उर्वरक पर 5 फीसदी कर लगाया गया है, इसके अलावा अमोनिया जैसे उर्वरक  पर 18 फीसदी का उच्च जीएसटी लगाया गया है. 

निर्यात को बनाया मुश्किल 

उन्‍होंने कहा कि मोदी सरकार कृषि उत्पादों के निर्यात को और अधिक कठिन बना रही है. जबकि सस्ते आयात की अनुमति दे रही है. इससे भारत के किसानों को गंभीर नुकसान हुआ है.उन्हें न तो अपनी उपज के लिए उचित बाजार मूल्य मिल रहा है और न ही निर्यात प्रतिबंध के कारण वे अपनी फसलों की उचित योजना बना पा रहे हैं. उनका कहना था कि साल 2022 के बाद से, चावल की कई किस्मों पर निर्यात शुल्क या प्रतिबंध लगाया गया है, जबकि सूरजमुखी तेल, अरहर और उड़द पर आयात शुल्क में कटौती की गई है. अगस्त 2023 में प्याज़ पर 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगाया गया था. इससे प्याज किसानों को 10,000 करोड़ रुपए से अधिक का अनुमानित रूप से नुकसान हुआ है. 

गेहूं और चावल का निर्यात गिरा 

जयराम रमेश ने लिखा कि सरकार की इन विनाशकारी नीतियों के कारण भारत का कृषि निर्यात गिर रहा है. उनका दावा था कि अप्रैल-सितंबर 2023 में निर्यात पिछले साल से 11.6 फीसदी गिर गया. गेहूं का निर्यात करीब जीरो हो गया है. बासमती के अलावा दूसरे चावल का निर्यात 16 फीसदी गिर गया है और चीनी का निर्यात 50% कम हो गया है. उन्‍होंने कहा कि साल 2014 के बाद से भारत के किसानों को दी गई सबसे बड़ी झूठी ‘मोदी की गारंटी’ यह थी कि वह 2016 से 2022 के बीच किसानों की आय दोगुनी कर देंगे. इसके लिए उन छह वर्षों में किसानों की आय हर साल 12 फीसदी से अधिक बढ़नी चाहिए.

आत्‍महत्‍या करते किसान 

जयराम रमेश के मुताबिक 56 फीसदी से ज्‍यादा खाद्य तेल आयात किए जाते हैं. कीमतों में बड़े उतार-चढ़ाव के बीच, भारत में तिलहन की उत्पादकता बढ़ाने और इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की तत्काल आवश्यकता है. लेकिन साल 2014 के बाद से, तिलहन का उत्पादन प्रति वर्ष केवल 1.8 फीसदी की दर से बढ़ा है. उन्‍होंने नाबार्ड की उस रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि भारत साल 2031 तक आयात पर निर्भर रहेगा. इसके अलावा उन्‍होंने किसान विरोधी नीतियों और बढ़ते कर्ज की वजह से किसानों की आत्‍महत्‍या के मसले का जिक्र भी किया. उन्‍होंने दावा किया साल 2014 के बाद से एक लाख से अधिक किसानों ने आत्‍महत्‍या की है और कृषि मंत्रालय की तरफ से कोई उपाय नहीं किए गए हैं.