एक साथ लगाइए टमाटर और गोभी जैसी फ़सलें

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अगर आपसे कहा जाए कि कम जगह में भी एक साथ कई फसलें लगाकर बढ़िया कमाई की जा सकती है तो शायद आपको यक़ीन न हो; लेकिन बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के सब्ज़ी विज्ञान विभाग के प्रोफेसर की यह तकनीक देखकर आप भी इसे अपनाना चाहेंगे

बुंदेलखंड के बाँदा जिले में यहाँ आजकल लोगों की भीड़ लगी रहती है, हर कोई खेती की इस तकनीक की जानकारी लेने के लिए यहाँ आता है, यही नहीं देश भर से किसान फोन पर भी इसकी जानकारी लेते रहते हैं। आपको लग रहा होगा कि आख़िर इसमें खेती के दूसरे तरीकों से क्या अलग है, तो चलिए आपको लिए चलते हैं बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, जहाँ के सब्ज़ी विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ राजेश कुमार सिंह इस तकनीक से बताते हैं कि कैसे किसान एक साथ कई फ़सलों की खेती कर सकता है।

क सीध में बने कई पॉलीहाउस के अंदर जब आप जाते हैं तो यहाँ पर ऊपर लाल-हरे टमाटर, नीचे अलग-अलग रंग की गोभी की फसल दिखेगी। डॉ राजेश कुमार सिंह इस तकनीक के बारे में गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “ये वर्टिकल फार्मिंग है, जिसमें एक ही जगह पर दो-तीन फ़सलें एक साथ लेते हैं, हमने इसमें ऊपर टमाटर लगाया है जो 15-20 फीट लंबा तक होता है, जिससे एक पौधे से छह से दस किलो तक टमाटर मिल जाता है।” वो आगे कहते हैं, “और इसके नीचे फूल गोभी, पत्ता गोभी, गाँठ गोभी और रंगीन गोभी लगाते हैं; इसमें एक बार गोभी लगाते हैं जब ये तैयार हो जाती है, तो इसे निकालकर दूसरी लगा देते हैं, इस तरह किसान एक साथ कई फसल ले सकता है।”

अगर किसान चाहें तो दो सौ स्क्वायर मीटर से लेकर एक हज़ार वर्ग मीटर में पॉलीहाउस लगाकर ऐसी ही खेती कर सकते हैं। पॉलीहाउस के लिए सरकार से सब्सिडी भी मिलती है, इसके लिए सरकार पचास फीसदी तक सब्सिडी देती है। यहाँ पर हमने दो सौ वर्ग मीटर का पॉलीहाउस लगा रखा है। ऐसे ही किसान अगर पॉलीहाउस में खेती करते हैं तो एक से डेढ़ साल में अतिरिक्त कमाई के साथ ही पॉलीहाउस की लागत भी निकाल सकते हैं। डॉ राजेश के अनुसार अभी उत्तर प्रदेश के मुकाबले पंजाब, हरियाणा, राजस्थान जैसे राज्यों के किसान इसकी ज़्यादा जानकारी लेने आते हैं। आए दिन स्कूल-कॉलेज के बच्चों के साथ ही अधिकारी भी यहाँ देखने आते हैं। इस तकनीक से कमाई के बारे में राजेश कहते हैं, “अगर किसान एक रुपए लगाता है तो ढ़ाई से तीन रुपए तक कमाई होती है। क्योंकि पॉलीहाउस में हमेशा उपज ज़्यादा आती है।”